इधर उधर चहूँ ओर बजे है आजादी के गीत
देख तिरंगा फहर रहा अम्बर-तारे बीच
तीन रंग सतरंग बना है और जन-गण-मन नवरंग
विजय पताका झूम रहा अशोक चक्र के संग
दक्षिण में केरल है तो उत्तर में कश्मीर हमारा
गुजरात-असम-अरुणाचल देखो, है नक़्शे में सारा
जय सुभाष बंगाल यहाँ है, अशफाक यहीं के वासी
मंदिर-मस्जिद यहीं खरें हैं, क्या काबा क्या काशी
जय हो-जय हो रहमान कहे, गंगा हिंदुस्तान बहे
चन्दन-सा है ताज यहाँ, ईद-दिवाली साथ सजे
जो दुश्मन है आँख तरेरे, वहीँ खड़ा सेना का सीना
घुटनों के बल ला खड़ा करे, बहा लहू और पसीना
है लोकतन्त्र इसकी पहचान, संयमता में इसकी आन
कलाम विवेकानंद यहीं के, गाँधी-बिस्मिल इसकी शान
पर चंदा में भी दाग है देखो, भ्रष्ट राज की ठाठ है देखो
घोटालों की बरात सजी पर भूखों की टूटी खाट है देखो
मंहगाई को लाज ना आई, नेताओं संग ब्याह रचाई
काले-धन, वोटों की माया, घूसखोरी की बिछी चटाई
पर ये जो मेरे देश की माटी, शहीदों से है इतराती
हर शाम सुबह ही लाती है, फिर शबनम भी वह बिखराती
वह सूरज, हाँ सूरज फिर से चमकेगा
अंधियारे में दमकेगा
पर मत भूलें हम हैं स्वतंत्र, गणतंत्र यहीं है, है लोकतंत्र
विचार हमारे मूल्यवान हो
बस विजय दिवस में सूर्य गान हो
बस विजय दिवस में सूर्य गान हो