आज मैं फिर हूँ पुराना, नया आने को खड़ा है
पल जो बीते अब पुराने हो गए हैं
संग तेरा था यहाँ तक अब भुलाने पड़ रहे हैं
वो आस की नन्ही किरण-सी साल मेरे साथ थी
और चमकती चाँदनी उन रात की क्या बात थी
वो जो था वो था सुहाना, नव वर्ष भी सुंदर बड़ा है
आज मैं फिर हूँ पुराना, नया आने को खड़ा है
रीत ये संसार की है जाने वाला ही तो लाता
साल में जो था छिपा लिख रहा था वो विधाता
अब ना सोचो क्या कमी थी, क्यूँ आँख में तेरे नमीं थी
तूने तो कोशिश करी थी, थी ग़लत या फिर सही थी
कुछ पलों की रात बाँकि और सूरज आने को है
कुछ गीत और नग़मे हैं बाक़ी और तू गाने को है
बस यूँ ही चल चलाचल की हौसलों से तू सना है
आज मैं फिर हूँ पुराना, नया आने को खड़ा है
मैं नया नव वर्ष हूँ, हूँ सुगंधित हर्ष हूँ
हूँ नई आशा का दीपक
तुम सोच में क्यूँ हो अभी तक
गर फँसोगे धार में या किसी मज़धार में
मैं नई ताक़त को लाया भर के इस पतवार में
मैं दीप की माला हूँ पूरी, ये रोशनी का एक घड़ा है
आज मैं फिर हूँ पुराना, नया आने को खड़ा है