सुन ले हवा एक छोटा सा काम
लूँगी बड़े दिन तक तेरा ही नाम
गुज़रा ज़माना मुझे देश जाए
बड़ी याद आती है मुझको सताए
पता तो लगा दे कैसे हैं पापा
कैसी हैं अम्मी कैसी हैं आपा
महीने हैं बीते, ना कोई आई चिट्ठी
क्या हरे हैं वो खेत, कैसी है मिट्टी
गरमी नहीं, होगी सर्दी की रात
जा करके तू आजा,वतन से दो बात
अच्छा चली मैं तेरा काम करने
तू सोई नहीं है कुछ आराम करले
सोई ही थी फिर हवा ने उठाया l
मुझे ज़ोर का एक झोंका लगाया
उठ जा तू, मैं हो आई तेरे देश
लाई हुई संदेश
उठ जा तू जल्दी पी ले थोड़ा पानी
अब मैं सुनाती हूँ पूरी कहानी
गयी थी मैं तेरे, शहर, तेरे गाँव
मिले खेलते तेरे बचपन के पाँव
वहीं है वो बग़ीचा जिसमें एक झूला
ज़रा भी नहीं वो तुझको है भूला
तेरे खेत सारे फ़सल से सज़े हैं
कहीं धान,गेहूँ, सरसों लगे हैं
सुकूँ है शहर में, ना कोई दंगा
वहीं बह रही है उन्मुक्त गंगा
मैंने भी उसमें हिलोरे हैं मारे
चूल्लु में लाई हूँ, ले तू भी नहाले
शिवालय गई फिर, घंटा बजाया
तेरे नाम से शिव को जल भी चढ़ाया
चली फिर वहाँ से घर को तुम्हारे
सूनि दीवारें थी तेरे बिना रे
मुझे देखते वो चौखट भी पूछी
कहाँ रह गई वो आई ना झूठी
तेरे घर की हर ख़ामोशी ने पूछा
कौने में पड़ी उस उदासी ने पूछा
तुझे ढूँढती है वो खिड़की और आला
वो पुराना एक कंगना और छोटा से बाला
वहीं सो रहे थे, बाबा और आई
हल्के से झोंके ने चादर उढ़ाई
तूने वो आँसू दिए थे जो जाते
उन्हीं से चरण को धोया, फिर माथे
इस पवन ने पिता के चरण को सुखाया
पिता ही परम है वेदों ने बताया
वहीं लेटी थी माता, एक झुर्री की नगरी
तेरी फ़ोटो लगाई थी सीने से पगली
बर्बर कुछ बोले है वहाँ लेटी लेटी
पराई हुई क्यूँ, एकलौति थी बेटी
बड़ी मैंने ठंडी हवाओं को ठेला
मानो रात भर बस पंखा ही झेला
मरहम लगाई जो ज़खम कुछ हरे थे
सारे माँज आई जो बर्तन पड़े थे
चलने को हुई जब, कुछ देखा और ठहरी
सिराहने रखी थी एक छोटी-सी गठरी
किया फूँ,झकोरा और उसको थोड़ा खोला
उसे देखते ही मेरा दिल भी डोला
ग़ज़ब की है ममता, क्या-क्या भरे थे
तेरे बचपन की गुड़िया, खिलौने धरे थे
तेरे बचपन के साईकिल की घंटी थी उसमें
और पापा के लाड़ों की मंडी थी उसमें
रमते ही रमते बीती सारी रैना
माँ ममता भरी थी और गीले थे नैना
निकली जो घर से,तेरी सहेली दौड़ आई
मैं सरसराती-सी भागी, रोती छोड़ आई
मोहल्ले को कर दी अलविदा ज़ोर का
ले आई हूँ मुट्ठी में बीड़ा शोर का
ख़ुशबू देश की, लाई हूँ दामन
ले भर ले ज़िगर में, बड़ी है ये पावन
…ले भर ले ज़िगर में बड़ी है ये पावन