ख़ुशियों में तुम शराबोर हो नए साल की बेला में
मस्त ज़िंदगी तुम्हें मुबारक जीवन के इस मेला में
सुख की चादर ख़ूब ओढ़ ली,जो दर्द लगा वो भी अपना
आने वाला भी अपना, जो बीत गया वो भी अपना
कितने आते जाते देखे, रूठे और मनाते देखे
कुछ ख़ुशियों के लमहें देखे,कुछ अपने ऐंठे-ऐंठे देखे
अरे हार गए लड़ने वाले,जो जीत गया वो भी अपना
आने वाला भी अपना, जो बीत गया वो भी अपना
हम बदले पर वे ना बदले,शिकवे सारे मंज़ूर हुए
कहने को थी बात कई, मिले नयन सब भूल गए
उनकी यादों में जीकर जो गीत बना वो भी अपना
आने वाला भी अपना, जो बीत गया वो भी अपना
आज़ रात के बाद सुबह सूरज निकलेगा साल नया
आधा चंदा पूरा होगा फिर चमकेगा साल नया
दो गोले को साथ मिला जो साल बना वो भी अपना
आने वाला भी अपना, जो बीत गया वो भी अपना